महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी देवो के हित विष पी डाला, नील कंठ https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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